पंचगव्य क्या है? हमें अपनी दैनिक जीवनशैली में पंचगव्य को क्यों अपनाना चाहिए?

पंचगव्य क्या है?

हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि गाय से उत्पन्न सामग्री कई मायने में हमारे लिए अमृत के समान काम करती है। इन सामग्रियों को पंचगव्य कहा जाता है। पंचगव्य यानी गाय से उत्पन्न प्रोडक्ट है, जिसके सैकड़ों फायदे है। पंचगव्य में पांच चीजें दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत्र को शामिल किया गया है।

इन पांचों तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। पूजा-पाठ हो या किसी नए काम की शुरुआत में भी इन
पंचगव्यों का इस्तेमाल किया जाता है। जेबुवेदा नेचुरल्स अपने प्रोडक्ट में इन सभी तत्वों का उपयोग करता है। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। इन पंचगव्यो का उपयोग धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, शुभ-मांगलिक कार्यों में आवश्यक रूप से किया जाता है। हर तत्व के अपने अलग-अलग फायदे हैं।

पंचगव्य चिकित्सा के लिए उपयोग किए जाते हैं और इनसे अलग-अलग प्रकार की बीमारियों जैसे अस्थमा, फ्लू, एलर्जी, हृदय रोग, संधिशोथ, ल्यूकोडर्मा, घाव भरने, ल्यूकोरिया, हेपेटाइटिस, आहार और जठरांत्र संबंधी विकारों, मोटापा, तपेदिक, अल्सर , अन्य बैक्टीरियल, फंगल और वायरल संक्रमण आदि के लिए दवाईया तैयार की जाती है। एक्सपर्ट का मानना है कि पंचगव्य कैंसर और मधुमेह जैसी गंभीर रोग स्थितियों के खिलाफ भी अपनी चिकित्सीय गुणों को प्रदर्शित करता है।

हमें अपनी दैनिक जीवनशैली में पंचगव्य को क्यों अपनाना चाहिए?
पंचगव्य के जितने फायदे आध्यात्मिक स्तर पर है, उतना ही यह चिकित्सा के स्तर पर कारगर है। यहां हम इन पांच चीजों के गुणों और लाभ के बारे में जानेंगे। ऐसे में अपने दैनिक जीवनशैली में इनका इस्तेमाल आपको स्वस्थ जीवन देता है।

 

दूध

दूध – प्राचीन चिकित्सा प्रणाली में गाय के दूध के औषधीय प्रभाव को बहुत माना गया है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक दूध सबके लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले सप्लिमेंट की तरह काम करता है। दूध का उपयोग इसके स्वास्थ्य-रक्षा, स्वास्थ्य-संवर्धन और चिकित्सीय प्रभावों के लिए किया जाता है।

खासकर भारतीय नस्ल की गायें A2( प्रोटीन) प्रकार का दूध देती हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अलग-अलग औषधीय गुणों के साथ हैं।
भारतीय गाय के दूध कई पोषक तत्व होते हैं, जिसमें लगभग 4.6% लैक्टोज, 4.65% वसा, 0.54% खनिज, 3.4% प्रोटीन और 86% पानी होता है।

गाय के दूध के प्रोटीन में 27% β-कैसिइन, 9% κ-कैसिइन, 36% α-कैसिइन और 27% पेप्टाइड्स होते हैं। दूध में जरूरी फैटी एसिड भी होते हैं और यह कैल्शियम और फॉस्फोरस का एक बेहतर सोर्स है।

गाय के दूध शिशुओं के लिए बेहतरीन होता है। यह दांतों, हड्डियों के विकास और हृदय गतिविधियों के प्रबंधन के लिए आवश्यक है। दूध का कम कोलेस्ट्रॉल वसा मानसिक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। दूध के सेवन से शिशुओं में एनीमिया का इलाज किया जा सकता है।

सबसे खास ये है कि दूध में त्वचा, कोलन और स्तन कैंसर के खिलाफ कैंसर विरोधी गुण होते हैं।

 

घी

घी को दूध के जरिए ही बनाया जाता है। कई अध्ययन से पता चला कि देसी घी आवश्यक फैटी एसिड (ओमेगा 3 और ओमेगा 9), ए, डी, ई और के जैसे विटामिन का बेहतरीन सोर्स है। इसके साथ ही गाय के घी के कई सारे स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जैसे कि याददाश्त बढ़ाना, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करना, त्वचा और हृदय रोगों को रोकना, त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, पाचन प्रक्रिया को बनाए रखना,शरीर को ऊर्जा देना, रक्त को शुद्ध करना, यकृत की रक्षा करना आदि।

इसके अलावा घी ने बहुत से औषधीय गुणों भी देखने को मिलते हैं, जिसमें सूजन को कम करने की क्षमता, एंटीनोप्लास्टिक, दृष्टि बढ़ाने वाला और तेजी से घाव भरने की क्षमता है।

चिकित्सा क्षेत्र की बात करें तो इसका उपयोग त्वचा और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के इलाज में किया जाता है और इसमें लाभकारी प्रभाव होते हैं, जिसमें इम्यूनोस्टिमुलेंट, एंटी-कोलिनर्जिक एक्टिविटी, एंटी अस्थमा प्रभाव आदि शामिल हैं।

 

दही

दही की बात करें तो यह अपने पोषण मूल्य और स्वास्थ्य लाभों के कारण दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। दही प्रोबायोटिक्स का एक सही सोर्ल है जो कई तरह से फायदेमंद होता है।

इसमें लैक्टिक एसिड होता है, जो प्रोडक्शन बैक्टीरिया साइकिलिक डाइपेप्टाइड्स, फिनाइल लैक्टिक एसिड और
एंटी-फंगल प्रभाव जैसे मेटाबोलाइट्स बनाते हैं। दही में कई पोषक तत्व होते हैं, जिनमें पानी, प्रोटीन, विटामिन जैसे ए, बी, डी और ई के साथ-साथ कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जस्ता आदि भी मिलते हैं। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स प्रतिरोधक क्षमता और पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करते हैं।

इसका उपयोग पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है और पाचन में सुधार में बढ़ावा दे सकता है। दही रक्त शोधक के रूप में भी काम करता है और कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन को कम करने में मदद करता है, जिससे मोटापे के खतरे को रोका जा सकता है।

 

गोमूत्र

गोमूत्र-चिकित्सा के क्षेत्र में गोमूत्र का उपयोग कई फॉर्मूलेशन तैयार करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में गोमूत्र के अनेक स्वास्थ्य लाभ और औषधीय प्रभाव बताए गए हैं। गाय के गोमूत्र में पानी, यूरिया और बाकी में एंजाइम, हार्मोन, लवण और खनिज जैसे घटक शामिल होते हैं। इसके अलावा, गोमूत्र में पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और एक मजबूत प्रतिरोधक प्रणाली बनाने के लिए विभिन्न एंजाइम भी होते हैं। गोमूत्र में ए, बी, सी, डी और ई सहित विटामिन भी मौजूद होते हैं ।

गोमूत्र को नेफ्रोप्रोटेक्टिव एजेंट के रूप में भी काम करता है। यह वजन घटाने, पाचन संबंधी समस्याओं, एडिमा, विभिन्न हृदय और गुर्दे की बीमारियों के खिलाफ काम कर सकता है। इसके अलावा यह दस्त, जीआईटी संक्रमण, पीलिया, बवासीर, एनीमिया और विटिलिगो जैसे त्वचा रोगों का भी इलाज कर सकता है।

गाय का गोबर

गाय का गोबर कई लाभकारी रोगाणुओं जैसे एस एक्रोमाइसेस, एल एक्टोबैसिलस, बी एसिलस, एस
ट्रेप्टोकोकस, सी एंडिडा के साथ आता है। इसके अलावा इसमें खनिज, विटामिन, पोटेशियम, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन, सेलूलोज, हेमिकेलुलोज जैसे पोषण घटक भी शामिल हैं। गाय के गोबर का उपयोग शहर और अस्पतालों से उत्पन्न कचरे को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

गाय के गोबर में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल प्रभाव भी है । यह स्किन टॉनिक के रूप में कार्य करता है और सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज में मददगार है। इसके अलावा कुचली हुई नीम की पत्तियों और गाय के गोबर का मिश्रण फोड़े-फुंसियों और घमौरियों से बचाने में मदद करता है। गाय के गोबर में मलेरिया परजीवी और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस को खत्म करने की क्षमता है।

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